By 121 News
Chandigarh 06th March:-पंचकूलामेंरहनेवालेश्रीवीपीएसरावनेही मेंपिंजौरमेंआयोजितअंतर्राष्टीयमहिलादिवसपर विशेषकार्यक्रमकीअध्यक्षताकरतेहुएअपनेअध्यक्षीयभाषणमेंसर्वप्रथम 2001 मेंअंतर्राष्टीयमहिलादिवसको'मातृशक्तिपर्व' कानामदियाथा।अध्यात्म-संस्कृतिरत्नसेसम्मानितऔरसंस्कृतिबोधसंघकेसंस्थापकश्रीरावकईपुस्तकेंलिखचुकेहैं।जिनपरकईस्कॉलर्सने शोधकार्यकियाहैतथाकईकररहेंहैं।
डॉ. विनोदकुमारनेश्रीरावसेअंतर्राष्टीयमहिलादिवसपरगहराईसेविशेषचर्चाकेलिएमुलाकातकीऔरअंतर्राष्टीयमहिलादिवसकईमहत्वपूर्णतथ्योंपरविचारसाँझाकिये।श्रीरावनेबतायाकि यहनामभारतीयसन्दर्भमेंअधिकउपयुक्तहै।पश्चिमीदेशोंमेंमहिलाओंको'वीकरसेक्स' मानाजाताहै।वहांमहिलाओंनेअपनेअस्तित्वकीपहचानकोसशक्तकरनेकेलिएकईअभियानचलाएऔरनिश्चितकियाकि अंतर्राष्टीयमहिलादिवसपरइकठ्ठाहोकरयोजनाबद्धनीतिसेमहिलाओंकेअधिकारोंकीमांगकीजायेऔरमहिलासशक्तिकरणकेलिएहरसंभवप्रयत्नकियेजाएंकिन्तुभारतीयसंस्कृतिमेंनारीकोशक्तिमानागयाहै।यहाँशक्तिकेरूपमेंनारीकीपूजाहुईहै।नारीकेविभिन्नरूपोंजैसेबेटी, बहन, पत्नीइत्यादिमेंसबसेज्यादामहत्वपूर्णमातृरूपहै।इसलिएइसदिवसकोयदि महत्वपूर्णबनानाहैतोइसकानाममातृशक्तिपर्वहोनाचाहिए।महिलाओंकेअनेकप्रकारकेयोगदानोंमेंउनकी'माता' केरूपमेंजोअत्यन्तमहत्वपूर्णभूमिकाहैवहवास्तवमेंहीअद्वितीयहै, उसकासम्पूर्णमानवसमाजमेंकोईजोड़नहीं।
नारीसम्यककीजननीहीनहींअपितुउसकेबहुर्मुखीविकासमेंपुरुषकीअनिवार्यसहयोगिनीभीहैऔरईश्वरीयविधानकेअनुसारमानवजातिकोवांछितदिशामेंअग्रसरकरनेहेतुमहत्वपूर्णमाध्यम।श्रीरावनेबतायाकियहठीकहैकिदैवनेनर- नारियोंकोसामान्यतःजोड़ोंकेरूपमेंभेजाहै।एकदूसरे केअभावमेंवेदोनोंहीअपूर्णहैंऔर दोनोंकेजीवनकीसार्थकताप्रतिकूलतामेंनहींअनुकूलतामेंहै, शुष्कतामेंनहींमाधुर्यमेंहैऔरवियोगमेंनहींसंयोगमेंहै।अतःव्यापकरूपमेंसमाज-कल्याणदोनोंकेलिएमिलजुलकरनाहीवांछितहैं, जिन्हें भारतीयऋषियों, मुनियों, मनीषियोंऔरसमाज-शास्त्रियोंनेबड़ेगहनएवंसूक्ष्मअध्ययन , मनन, चिंतनऔरअनुसन्धानकेपश्चातप्रकटकियाहै, जोपाश्चात्यबुद्धिजीवी नहींकरसके।यहीकारणहैकिवहांअनेकप्रकारकेसुखसाधनों, प्रसाधनों, इत्यादिकेहोतेहुएभीअशांतिऔरतृप्तिकासाम्राज्यहै।संतुष्टिऔरसंतृप्तिकीखोजमेंवेभारतीयसंतों,महात्माओंकीशरणमेंआतेहैं।दुःखसेछुटकाराऔरसुखकीप्राप्तिहेतुमानवमनऔरप्राकृतिकरहस्योंकाजोअत्यन्तउच्चकोटिकाअध्ययन, अवलोकनऔरविश्लेषणभारतवर्षमेंहुआहैउसीकेकारणइसकीएकअपनीपहचानहै।
श्रीरावनेकहाकिभारतीयमहिलाएंइसक्षेत्रमेंसम्पूर्णमहिला-समाजकामार्गदर्शनकरसकतीहैं।भारतीयमहिलाओंकोभीवास्तविकपहचानपाश्चात्यविचारधारा, तौर-तरीकों, रहन-सहनकेढंगों, वेश-भूषा, आचार-व्यवहारकाअनुगमनकरनेमेंनहीं, अपितुअपनीनिजीसंस्कृतिकोभली -भांतिसमझ-बूझकर , उसपरचलकर, उसेव्यवहारमेंलाकर, उनकामार्गदर्शनकरनेमेंहै।इसलिएभारतवर्षमें 8 मार्चकोमातृशक्तिपर्व केरूपमेंहीमनानाचाहिए।